HINDI MOTIVATIONAL/INSPIRATIONAL POEM .हिंदी की प्रेरक कविता "कर्त्तव्य "



 हिंदी में अब हमारे साथ पढ़िए कुछ प्रेरक कविताये बिलकुल नयी ,जो हम अपने पाठको के लिए सुनियोजित ढंग से तैयार करते है। इसके साथ ही आप हमारे साथ प्रेरक वक्तव्य ,प्रेरक कहानियां और  मोटिवेशनल आर्टिकल पद सकते है। 

जिंदगी सुख और दुःख का एक सिक्का है ,जैसे सिक्के को ऊपर उछलने पर पता नहीं चलता की आपके पास सिक्के की कोण सी साइड आने वाली है ठीक उसी तरह से जिंदगी को जब हम आगे बढ़ने की कोशिश करते है तो हमें बिलकुल भी पता नहीं होता की हमारे साथ आगे क्या होने वाला है। 

होने वाला कुछ भी हो पर मई हर नहीं मानुगा। मेरे पथ पर चाहे जीत हो या हार। जो मुझे करना है वो मई करके रहुगा। इस तरह के जज्बे को और हौसले को ही जिंदगी कहते है। 

इसी पृष्ठ्भूमि पर आधारित यह कविता हमने आपके लिए तैयार की है। यदि पसंद आये तो प्लीज कमेंट करके जरूर बताये ताकि हम ऐसी ही कुछ और प्रेरक कविताओं की रचना कर आपके सामने पेश कर सके। 







हँसता चल , हंसाता चल
कठिनाइयों में भी मुस्कुराता चल ,
तू थक गया तो क्या हुआ ,कदमो को धीमा ही सही 
पर अपने कर्त्तव्य को निभाता चल। "

हारना तेरा तय है ,
और जीतना तेरा मुमकिन 
बस हौसलों की उड़ान  ले।
और हार को अस्वीकार कर 
जीत जायेगा तू जिंदगी की ये जंग ,

तेरी जीत ही तेरी आग है 
बस उस आग को तू सोचकर 
कदम धीरे ही सही
 मुस्कुरा कर बढ़ाता चल 

तेरा कर्त्तव्य ही तेरा धर्म है ,
और धर्म पथ पर चलना तेरा मान है 
क्या हुआ जो तू बहक गया ,
अंत में बस यही हो की तू कुछ भी था पर महक गया 

तू झुक गया तो क्या हुआ 
तू गिर गया तो क्या हुआ 
तू झुक कर हर बार उठ ,एक नया सवेरा पायेगा 
तू गिर कर हर बार उठ तो सारा जहाँ पा जायेगा। 

तोड़ दे जंजीरो को ,जो जकड़े रखे है तुझको ,
तू खुद ही एक जंजीर है ,
जो बाँध सके है सबको। 

कर्म ही तेरे बीज है ,
और तू उस बीज का फल 
कर ले आज ही जो करना है,
क्युकी कभी नहीं आता कल। 

बस तू हौसलों की उड़न ले,
और अपने कर्त्तव्य को निभाता चल। 
वो सूरज ही क्या जो उगे नहीं ,
वो चाँद ही क्या छिपे नहीं ,
तू चाँद भी है और सूरज भी ,
सूरज सी गर्मी तू दिखलाता चल ,
और चाँद सी ठंडक पहुँचता चल ,

कदम धीरे ही सही ,
कर्त्तव्य की और बढ़ाता चल।


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HINDI MOTIVATIONAL/INSPIRATIONAL POEM .हिंदी की प्रेरक कविता "कर्त्तव्य "  HINDI MOTIVATIONAL/INSPIRATIONAL POEM .हिंदी की प्रेरक कविता "कर्त्तव्य " Reviewed by satendra singh on 15 अप्रैल Rating: 5

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