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झाँसी की रानी (रिपब्लिक डे पोयम)
सिंहासन हिल उठे ,राजवंशो ने भृकुटि तानी थी ,
बूढ़े भारत में भी आयी फिर से नयी जवानी थी ,
गुमी हुयी आजादी ,की कीमत सबने पहचानी थी ,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में
वह तलवार पुरानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी
वह तो झाँसी वाली रानी थी।
कानपूर के नाना की मुंहबोली बहन "छबीली "थी ,
लक्ष्मीबाई नाम ,पिता की वह संतान अकेली थी,
नाना के संग पढ़ती थी वह ,नाना के संग खेली थी ,
बरछी ,ढाल ,कृपाण ,कटारी
वीर शिवाजी की गाथाये उसको याद जबानी थी ,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी ,
वह तो झांसी वाली रानी थी।
लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारो के वार ,
नकली युद्ध ,व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार ,
सैन्य घेरना ,दुर्ग तोडना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़,
महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी
भी आराध्य भवानी थी ,
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी ,
खूब लड़ी मर्दानी ,
वह तो झांसी वाली रानी थी।
हुई वीरता की वैभव के साथ ,सगाई झाँसी में
ब्याह हुआ रानी बन आयी लक्ष्मीबाई झांसी में ,
राजमहल में बजी बधाई ,
खुशियां छायी झाँसी में ,
सुभट बुंदेलों की विरुदावली -सी वह आयी झांसी में।
चित्रा ने अर्जुन को पाया ,
शिव से मिली भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी ,
खूब लड़ी मर्दानी ,
वह तो झांसी वाली रानी थी।
उदित हुआ सौभाग्य,मुदित महलो में उजियाली छाई ,
किन्तु कालगति चुपके से काली घटा घेर कर लाई ,
तीर चलने वाले कर में ,उसे चूड़ियाँ कब भाँइ ,
रानी विधवा हुई हाय !विधि को भी नहीं दया आयी।
नि :संतान मरे राजा जी ,
रानी शोक समानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी ,
खूब लड़ी मर्दानी,
वो तो झाँसी वाली रानी थी।
बुझा दीप झांसी का तब डलहौजी मन में हरषाया ,
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया ,
फ़ौरन फौजे भेज ,दुर्ग पर अपना झंडा फहराया ,
लावारिस का वारिस बनकर ,ब्रिटिश राज्य झांसी आया ,
अश्रुपूर्ण रानी ने देखा ,
झाँसी हुई बिरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह ,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो ,
झाँसी वाली रानी थी।
अनुनय विनय नहीं सुनता है विकट फिरंगी की माया ,
व्यापारी बन दया चाहता था,जब यह भारत आया ,
डलहौजी ने पैर पसारे अब तो पलट गयी काया ,
राजाओ ,नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया ,
रानी दासी बनी ,बनी यह
दासी अब महारानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह ,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो
झांसी वाली रानी थी।
छीनी राजधानी दिल्ली की ,लिया लखनऊ बातो बात
कैद पेशवा था बिठूर में ,हुआ नागपुर का भी घात ,
उदयपुर, तंजौर, सतारा ,कर्नाटक की कौन बिसात ,
जबकि पंजाब सिंध ,ब्रम्ह पर अभी हुआ था वज्रा निपात ,
बबंगाले ,मद्रास आदि की ,
भी तो यही कहानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह ,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
रानी रोई रनिवासों में ,बेगम गम से थी बेजार
उनके गहने -कपडे बिकते ,थे कलकत्ते के बाजार
सरे आम नीलाम छापते, थे अंग्रेजो के अखबार ,
"नागपुर के जेवर" ले लो ,लो लखनऊ के "नौलख हार ",
यों परदे की इज्जत ,
परदेशी के हाथ बिकानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह ,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो
झांसी वाली रानी थी।
कुटियो में थी विषम वेदना ,महलो में आहत अपमान ,
वीर सैनिको के मन में था ,अपने पुरखो का अभिमान ,
नाना धुंधूपंत पेशवा जूता रहा था सब सामान ,
बहन छबीली ने रण-चंडी का कर दिआ प्रकट आह्वान।,
हुआ यज्ञ प्रारम्भ ,उन्हें तो
सोइ ज्योति जगानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह ,
हमने सुनीं कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो
झाँसी वाली रानी थी।
महलो ने दी आग ,झोपड़ी ने ज्वाला सुलगायी थी ,
यह स्वतंत्रता की चिंगारी ,अंतरतम से आयी थी,
झाँसी चेती ,दिल्ली चेती ,लखनऊ लपटे छायी थी ,
मेरठ,कानपुर,पटना,ने भारी धूम मचाई थी,
जबलपुर ,कोल्हापुर में भी ,
कुछ हलचल उकसानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह ,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो
झांसी वाली रानी थी।
इस स्वतंत्रता महायज्ञ में ,कई वीरवर आये काम ,
नाना धुंधूपंत ,ताँतिया ,चतुर अजीमुल्ला सरनाम ,
अहमद शाह मौलवी ,ठाकुर कुंवर सिंह सैनिक अभिराम,
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम ,
लेकिन आज जुर्म कहलाती ,
उनकी जो कुर्बानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह ,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो
झांसी वाली रानी थी।
इनकी गाथा छोड़ चले हम झांसी के मैदानों में ,
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में ,
लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा ,आगे बढ़ा जवानो में ,
रानी ने तलवार खींच ली ,हुआ द्वन्द असमानों में,
जख्मी होकर वॉकर भागा ,
उसे बड़ी हैरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह ,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो
झांसी वाली रानी थी।
रानी बढ़ी कालपी आयी ,कर सौ मील निरंतर पार
घोड़ा थककर गिरा भूमि पर ,गया स्वर्ग तत्काल सिधार ,
यमुना तट पर अंग्रेजो ने फिर खायी रानी से हार ,
विजयी रानी आगे चल दी ,किया ग्वालियर पर अधिकार,
अंग्रेजो के मित्र सिंधिया
ने छोड़ी रजधानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह ,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो
विजय मिली ,पर अंग्रेजो की फिर सेना घिर आयी थी
अबके जनरल स्मिथ सन्मुख था ,उसने मुंह की खायी थी ,
काना और मंदरा सखियाँ ,रानी के संग आयी थी,
युद्ध क्षेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी ,
पर पीछे ह्यूरोज आ गया ,
हाय! घिरी अब रानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह ,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो
झांसी वाली रानी थी।
तो भी रानी मार काटकर ,चलती बनी सैन्य के पार ,
किन्तु सामने नाला आया ,था यह संकट विषम अपार ,
घोड़ा अड़ा ,नया घोड़ा था ,इतने में आ गए सवार ,
रानी एक ,शत्रु बहुतेरे होने लगे वार पर वार ,
घायल होकर गिरी सिंघनी
उसे वीरगति पानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह ,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो
झांसी वाली रानी थी।
रानी गयी सिधार ,चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी
मिला तेज़ से तेज़ ,तेज़ की वह सच्ची अधिकारी थी ,
अभी उम्र कुल तेईस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी ,
हमको जीवित करने आयी ,बन स्वतंत्रता नारी थी ,
दिखा गयी पथ ,सिखा गयी
हमको जो सीख सिखानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह ,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो
झांसी वाली रानी थी।
जाओ रानी याद रखेंगे ,हम कृतज्ञ भारतवासी
यह तेरा बलिदान जगावेगा ,स्वतंत्रता अविनाशी ,
होवे चुप इतिहास ,लगे सच्चाई को चाहे फांसी।
हो मदमाता विजयी ,मिटा दे गोलों से चाहे झांसी ,
तेरा स्मारक तू ही होगी
तू खुद अमिट निशानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह ,
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो
झांसी वाली रानी थी।
झाँसी वाली रानी थी
वह झाँसी वाली रानी थी।
धन्यवाद
तो दोस्तों यह थी सुभद्रा कुमारी चौहान जी द्वारा लिखित "मुकुल " नामक रचना से ली गयी कुछ पंक्तियाँ। वास्तव में हमने कुछ अच्छे कर्म ही किये होंगे जो ,हमें वीरो की धरती पर जन्म मिला है। यह कविता हर व्यक्ति के खून में साहस लाने के लिए काफी है। महान क्रांतिकारियों के कारन ही आज हम स्वतंत्र है।
इसीलिए मेरा सभी क्रांतिकारियो को हृदय से शत शत नमन और 78 वें गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाये।
दोस्तों यदि ऐसी ही बहुत साड़ी पोएम पढ़ने के लिए आप हमें सब्सक्राइब जरूर कर ले क्योकि आगे भी हम आपके साथ ऐसी ही कविताएं शेयर करते रहेगे।और कॉमेंट करके जरूर बताये की आपको हमारी कविता कैसी लगी। और यदि आपको पसंद आये तो प्लीज इसे शेयर जरूर करे।
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