HOW TO IDENTIFY SELFPOWER?अंतरात्मा शक्ति को कैसे पहचाने ?-MOTIVATIONAL THOUGHTS_OURINSPIRATION.INFO
आमतौर पर हमारी लाइफ का कोई भी दिन ऐसा नहीं होता जिस दिन हमारे सामने कोई difficulties न आयी हो। क्योकि डिफीकल्टीज हमारे जीवन के साथ बंधी हुई है ,जीवन को जीने का सिंपल सा फंडा है ,डिफीकल्टीज को फेस करते जाओ ,और जीवन को जीने का एक कदम आगे बढ़ाओ।
होता क्या है की हमें नहीं पता होता है की हमारे बॉडी एंड माइंड के अंदर कितनी पावर है डिफीकल्टीज को फेस करने की। और जब हमें ये पता नहीं होता है तो हम करते क्या है की बिना सोचे समझे कोई भी प्रोब्लेम्स को जानबूझकर अपने सर ले लेते है। और लास्ट में जब वो प्रॉब्लम हमसे फेस नहीं होती है ,तब हम बहुत ज्यादा दुखी हो जाते है ,और अपने आप को बाद में कोशने लगते है ,अपने पास्ट को बार बार याद करते है और सोचते है की काश मैंने ये फैसला नहीं लिया होता काश मैंने ये नहीं किया होता। ये सब बाते फैसले लेने के बाद नहीं सोची जाती बल्कि जितना आप फैसला लेने के बाद सोचते है उतना आपको फैसला लेने के पहले सोचना चाहिए।
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हर फैसला चाहे वो छोटा हो या बड़ा हमेशा उस फैसले को लेने से पहले अपने अंदर एक बार जरूर झांककर देख लेना चाहिए। और अपने आप से तीन सवाल करना चाहिए -
- क्या मै तैयार हूँ इस फैसले को लेने के लिए ?
- इस फैसले को लेने के बाद मेरे पास कौन कौन सी प्रोब्लेम्स आ सकती है ?
- क्या मै आने वाली हर प्रोब्लेम्स को फेस कर सकता हूँ ?
और जब आप अपने से ये तीनो सवाल पूछ लगे तो आपका दिमाग इसका जवाब जरूर देगा ,और जो आपको जवाब मिले उसे शांत मन से देखे और उसे स्वीकार कर ले। क्योकि जो दिल और दिमाग बोलता है वो आपकी अंतरआत्मा होती है. और अंतरात्मा से बड़ी आवाज़ कोई नहीं होती।
फैसला चाहे छोटा हो या बड़ा यदि आप हर बार फैसले अपनी अंतरात्मा से लेते है है ,तो आप कभी फ़ैल नहीं हो सकते और क्योकि यदि फैसला अंतरात्मा का होता है तो हमें उस फैसले को पूरा करने के लिए ताक़त भी मिलती हैं ,और वो ताक़त आपकी अंतरात्मा से आपको मिलेगी।
एक उदाहरण लेकर चलते है ,मान लीजिये आप एक आम इंसान है ,और आपसे कहा जाये की आपको इस दुनिया का बेस्ट रेसलर बनना है और आपके पास रेसलर बनने के लिए सारी चीजे उपलब्ध हो। तब आपके दिमाग में दो सवाल आएंगे -
- क्या मै रेसलर बन सकता हु।
- क्या मै सच में रेसलर बन सकता हु।
जो पहला क्वेश्चन है वो आपके मन में नेगेटिविटी भर देता है और जो दूसरा क्वेश्चन है वो आपके दिमाग में पाजिटिविटी भर देता है लेकिन यदि आपके दिमाग में पहला क्वेश्चन आया और आपकी अंतरआत्मा ने जवान न का दिया तो आपके दिमाग में दूसरा क्वेश्चन नहीं आ सकता।लेकिन यदि आपके दिल से जवाब हां में आया तो आपके दिमाग में दूसरा क्वेश्चन जरूर आएगा और दूसरा क्वेश्चन अपने साथ ढेर सारे क्वेश्चन लेकर आएगा जैसे की मुझे रेसलर बनने के लिए सबसे पहले क्या करना होगा ,मेरी क्या रणनीति होगी ,मुझे क्या क्या करना होगा बगैरा। और जब ये क्वेश्चन के जवाब आपको मिल जायेगे तब आपको अपनी अंतरात्मा की आवाज़ फिर से सुन्नी चाहिए यदि अंतरआत्मा आपको आवाज़ दे रही है की हाँ मै इस दुनिया का बेस्ट रेसलर बनने के लिए हर प्रॉब्लम फाइट कर सकता हु चाहे कुछ भी हो मैं रेसलर बनुगा और रेसलर ही बनुगा। तब आप समझ लेना की आप पूरी तरह से तैयार ही रेसलर बनने के लिए। और आपको बेस्ट रेसलर बनने के लिए इस पूरी दुनिया में कोई नहीं रोक सकता यहाँ तक की आप भी नहीं। क्योकि खुद की आवाज़ ऐसी होती है जिसे यदि एक बार अच्छे से सुन लिया तो सारी प्रोब्लेम्स हम आसानी से सह जायेगे।
हमको कोई भी फैसला चाहे वो छोटा हो या बड़ा हमारी लाइफ से रिलेटेड हो या दूसरे की लाइफ से रिलेटेड ,हमेशा अपने अंदर की आवाज़ को सुने।क्योकि अंदर की आवाज़ सबसे तेज़ आवाज़ होती है जो हमारे दिल और दिमाग पर हथौड़े की तरह चोट मरती है और हमेशा हमें सही राह दिखती है। जब आप अपने हर फैसले को अपनी अंतरात्मा से लेंगे तब किसी का विकास हो या न हो लेकिन आप पूर्ण विकसित ह्यूमन बीइंग बन जायेगे। आपको हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीजे समझ में आने लग जाएगी।
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कभी कभी क्या होता है की कुछ फैसले ऐसे होते है हमारी लाइफ में जिनमे हम अंतरात्मा की आवाज़ को सुनने से कतराते है।
पर ऐसा क्यों यदि आप अपनी आवाज़ को ही सुनने से कटरा रहे है तो एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब आपका लिया हुआ फैसला आपको खुद बताएगा की हां यदि मैंने उस समय अपनी अंतरात्मा की सुनी होती तो आज मुझे ये दिन न देखना पड़ता।
अंतरात्मा न केवल हमको सही रास्ता दिखाती है बल्कि हमको हमारी औकात से भी वाकिफ कराती है।
इतिहास और आधुनिक समय दोनों ही गवाह है की जिसने हमेशा अपने अंतरात्मा की सुनी वो इस दुनिया के लिए कुछ बड़ा करके ही गया है। जैसे की हम GREAT SCIENTEST आइजक न्यूटन की बात करे। वो एक सेब के पेड़ के नीचे बैठा था और अचानक से ही एक सेब डाल से टूटकर उसके ऊपर गिरा। न्यूटन चाहता तो उस सेब आराम से खाकर वही पर बैठा रह सकता था। लेकिन जैसे ही वो सेब उसके ऊपर गिरा उसकी अंतरात्मा से एक प्रश्न उठा की यह सेब आखिर नीचे ही क्यों गिरा ,ऊपर क्यों नहीं रह गया। और उसने अपनी अंतरात्मा के उठे इस प्रश्न को अच्छे से सुन कर दिमाग में बैठा लिया और जब उसने इस प्रश्न का जवाब ढूढ़ने की कोशिश की तो उसे उसकी अंतरात्मा से इतनी ज्यादा शक्ति प्राप्त हुई की उसने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का प्रतिपादन कर अपनी अंतरात्मा के इस प्रश्न का जवाब ढूंढ निकाला।
यदि हम आप भी शान्ति से पेड़ के नीचे बैठे होते और इसी तरह कोई सेब आपके ऊपर भी गिरता तो इस बात की गारंटी है की आपकी अंतरात्मा से ये प्रश्न जरूर उठता पर इस बात की कोई गारंटी नहीं है की क्या आप भी अपनी अंतरात्मा की सुन लेते। यदि सुन लेते तो आज आप आइजक न्यूटन होते।
देर अभी भी नहीं हुई ,हमेशा फैसले अंतरात्मा से लीजिये अंतरात्मा की आवाज़ को दबाइये मत क्योकि यदि आज आपने अपनी अंतरात्मा को दबाया तो एक दिन ऐसा आएगा जब आपकी अंतरात्मा आपको दबा देगी ,मतलब सिर्फ आपकी अंतरात्मा बोलेगी दिल और दिमाग बिलकुल शांत रहेंगे लेकिन आप कर कुछ नहीं पाएंगे।
अपने इन्ही विचारो के साथ मई अपने आर्टिकल को यही विराम देता हु।
यदि पसंद आये तो PLEASE LIKE, COMMENT, SHARE JARUR करे।
पर ऐसा क्यों यदि आप अपनी आवाज़ को ही सुनने से कटरा रहे है तो एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब आपका लिया हुआ फैसला आपको खुद बताएगा की हां यदि मैंने उस समय अपनी अंतरात्मा की सुनी होती तो आज मुझे ये दिन न देखना पड़ता।
अंतरात्मा न केवल हमको सही रास्ता दिखाती है बल्कि हमको हमारी औकात से भी वाकिफ कराती है।
इतिहास और आधुनिक समय दोनों ही गवाह है की जिसने हमेशा अपने अंतरात्मा की सुनी वो इस दुनिया के लिए कुछ बड़ा करके ही गया है। जैसे की हम GREAT SCIENTEST आइजक न्यूटन की बात करे। वो एक सेब के पेड़ के नीचे बैठा था और अचानक से ही एक सेब डाल से टूटकर उसके ऊपर गिरा। न्यूटन चाहता तो उस सेब आराम से खाकर वही पर बैठा रह सकता था। लेकिन जैसे ही वो सेब उसके ऊपर गिरा उसकी अंतरात्मा से एक प्रश्न उठा की यह सेब आखिर नीचे ही क्यों गिरा ,ऊपर क्यों नहीं रह गया। और उसने अपनी अंतरात्मा के उठे इस प्रश्न को अच्छे से सुन कर दिमाग में बैठा लिया और जब उसने इस प्रश्न का जवाब ढूढ़ने की कोशिश की तो उसे उसकी अंतरात्मा से इतनी ज्यादा शक्ति प्राप्त हुई की उसने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का प्रतिपादन कर अपनी अंतरात्मा के इस प्रश्न का जवाब ढूंढ निकाला।
यदि हम आप भी शान्ति से पेड़ के नीचे बैठे होते और इसी तरह कोई सेब आपके ऊपर भी गिरता तो इस बात की गारंटी है की आपकी अंतरात्मा से ये प्रश्न जरूर उठता पर इस बात की कोई गारंटी नहीं है की क्या आप भी अपनी अंतरात्मा की सुन लेते। यदि सुन लेते तो आज आप आइजक न्यूटन होते।
देर अभी भी नहीं हुई ,हमेशा फैसले अंतरात्मा से लीजिये अंतरात्मा की आवाज़ को दबाइये मत क्योकि यदि आज आपने अपनी अंतरात्मा को दबाया तो एक दिन ऐसा आएगा जब आपकी अंतरात्मा आपको दबा देगी ,मतलब सिर्फ आपकी अंतरात्मा बोलेगी दिल और दिमाग बिलकुल शांत रहेंगे लेकिन आप कर कुछ नहीं पाएंगे।
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Reviewed by satendra singh
on
20 जून
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