जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है ,और इन कठिनाइयों से कोई लड़ता है तो कोई डरता है बस फ़र्क़ समझ का होता है ,क्योकि जो लड़ता है उसके लिए जिंदगी में बड़ी से बड़ी परेशानी भी जिंदगी का एक हिस्सा बन जाती है ,फिर वो आपको परेशां नहीं करती बल्कि आपको और मजबूत बनाती चली जाती है। परेशानिया हमारे पास आती ही इसीलिए है की हम समय के साथ साथ अपने अंदर भी परिवर्तन लाते रहे।
इसी क्रम में हमने आप लोगो के लिए एक कविता लिखी है ,इसे पढ़कर जरूर देखिये और यदि पसंद आये तो कृपया COMMENT एंड SHARE जरूर करे।
मुक़ाम
मैंने बढ़ा दिए कदम , एक ऐसे मुकाम पर
मन में लिए हूँ कठिनाई , पर दिल कहता तू काम कर
न डर किसी बाधा से ,बाधाओं को तू बांधकर
बढ़ता चल अपने कदम ,तू पहुंचेगा मुकाम पर।
जानता हु रास्ता थोड़ी लम्बा है , तो मुश्किलें भी आएगी
पर हर मुश्किल में तू खुद को संभालकर,
बढ़ता चल अपने कदम तू पहुंचेगा मुकाम पर।
सफ़र लम्बा है तो वक़्त भी लगेगा
न घबराना तू फिर भी
अपने अरमानो को दिल से निकालकर ,
बढ़ाता चल अपने कदम
तू पहुंचेगा मुकाम पर।
रास्ते में होंगे कांटे भी बहुत
पर तू दिल में गुलाब थामकर,
बढ़ता चल अपने कदम
तू पहुंचेगा मुकाम पर।
दिल में है गर जल रहे अरमां
इन अरमानो को संभालकर ,
हार कर भी उठ खड़ा हो
तू पहुंचेगा मुकाम पर।
हारना है एक कड़वा सच
इस सच को न स्वीकार कर ,
गिर कर फिर से उठ जाना
फिर तू पहुंचेगा मुकाम पर।
तू जीतेगा जरूर एक दिन
इस विश्वास को दिल में थामकर ,
बढ़ाता चल अपने कदम
तू पहुंचेगा मुकाम पर।
धन्यवाद्
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HINDI MOTIVATIONAL POEM- "MUKAM"। हिंदी की प्रेरक कविता "मुकाम ''-motivationguru.info
Reviewed by satendra singh
on
07 अप्रैल
Rating:
thanks sonarika ji
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