चिंता करने से कैसे बचे original duniya -चमत्कारी सूत्र -

चिंताजनक परिस्थितियो को सुलझाने की चमत्कारी विधि -



दोस्तों,इस भागदौड़  और उलझनों ,परेशानियों भरी जिंदगी में चिंता होनी स्वाभाविक बात है। पर इस चिंता के घेरे में बने रहना और जल्द से जल्द चिंता के दायरे से बाहर निकलना बड़ा दुर्गम है। चिंता ही है जो मनुष्य को धीरे धीरे विनाश की ओर ले जाती है। 
आप सभी को ऐसा लगता है की चिंता से बाहर नहीं निकला जा सकता है ,लेकिन दोस्तों आज ओरिजिनल दुनिया की पूरी टीम के सहयोग और हमारे अध्ययन करने के पश्चात किसी भी प्रकार की चिंता से जल्द से जल्द छुटकारा पाने के लिए एक चमत्कारी विधि ढूँढ निकली है। 
और यह विधि बहुत से लोगो के द्वारा अपनायी जाने के बाद  पूर्णतया लाभदायक साबित हुई। 

  • यह उपाय चिंता दूर करने वाले  अबतक के श्रेष्ठ तीन उपायों में से एक है,और आसान भी।

तो दोस्तों, चिंताजनक परिस्थितियो से पार पाने के लिए क्या आप शीघ्र कारगर और अचूक नुस्खा जानना चाहेंगे ?

दोस्तों सबसे पहले हम आपको बता दे की ये नुस्खा बिलकुल सामान्य है ,और कोई भी इसका उपयोग कर सकता है। 
  • इसकी तीन अवस्थाये (CONDITION) है। 
  • -पहली अवस्था -  (FIRST CONDITION)


दोस्तों इस अवस्था में आप जिस भी परिस्थति में है या जूझ रहे है ,उस परिस्थिती का बिना डरे और ईमानदारी से विश्लेषण करे की आपकी इस परिस्थति के कारन सबसे बुरा क्या क्या हो सकता है या फिर इससे क्या क्या खतरे है और क्या क्या अनिष्ट संभव है ?
और जो भी अनिष्ट हो सकते है उन्हें एक कोरे कागज में लिख ले।

  -दूसरी अवस्था -   (SECOND CONDITION)

अनिष्ट क्या हो सकता है ,यह जान  लेने के पश्चात उस अनिष्ट को आवश्यकतानुसार स्वीकार करने का दृष्टिकोण अपनाइये। अपनी परिस्थिती के कारन होने वाले अनिष्टों को खुद से पूर्णतया स्वीकार कर लीजिये। 

                              संभावित अनिष्ट को जान लेने के पश्चात उसे आवश्यकतानुसार स्वीकार करने का दृष्टिकोण अपनाने के बाद दोस्तों,आप तुरंत ही हल्कापन और  प्रकार की शान्ति का अनुभव करेंगे। जो आप चिंता से ग्रसित होने पर नहीं कर पाए थे।

     -तीसरी अवस्था -  (THIRD CONDITION )


अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण अवस्था  "अनिष्ट को सुधारो। "

जब आप ऊपर की दोनों अवस्थाओं को पूरा कर लगे तो आपका दिमाग पूर्णतया स्वस्थ हो जायेगा अनिष्ट को सुधारने के लिए। आपके दिमाग में नए दृष्टिकोण से परिस्थति को सुलझाने के तरीके आएंगे। और यही वह अवस्था होती है जब अपने अनिष्ट को सुधार सकते है। 

दोस्तों यह त्रिरूपी सत्र सर्वप्रथम ,प्रसिद्ध केरियर कारपोरेशन और ऐरकण्डीशनिंग उद्योग के जन्मदाता प्रतिभासम्पन्न इंजीनियर श्री विलियम एच केरियर द्वारा प्रोग में लाया गया ,जब वह अपनी कम्पनी के लिए वातावरण की गैस को स्वच्छ करने के लिए एक नवीन उपकरण बनाने में असफल रहे थे। 

  • दोस्तों,एच केरियर ने बताया की चिंता, एकाग्रता का ह्रास कर देती है। 
  • जब हम चिंतित रहते है तो हमारे विचार सर्वत्र भटकते रहते है और हम निर्णय करने की शक्ति से हाथ धो बैठते है। 
जो भी हो जब हम अपने आप को अनिष्ट स्वीकार करने के लिए विवश कर लेते है ,तब हम सारी ऊटपटांग और बेतुकी कल्पनाओ को दूर कर ऐसी स्थति पैदा कर लेते है ,जिसमे रहकर अपनी समस्याओ  पर पूरी तरह अपना ध्यान केंद्रित कर सके। 

लीन युताग नामक चीनी दार्शनिक का विचार था की अनिष्ट को स्वीकार करने से मन को सच्ची शांति प्राप्त होती है और हमारा भी यही मानना है।

POINT OF ARTICLE-

तो दोस्तों ,आप जिन उलझनों को अब तक समाधान के परे समझ बैठे है ,क्या यह संभव नहीं की वे इस तीन अवस्था वाले सूत्र से सुलझ जाए। 

  • अपने आप से पूछिए की संभावित अनिष्ट क्या हो सकता है ?
  • यदि अन्य कोई उपाय न हो तो अनिष्ट को स्वीकार कर लीजिये। 
  • धैर्यपूर्वक उस अनिष्ट को सुधारने के लिए बढ़ चलिए। 


                                                                                                     -धन्यवाद -




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चिंता करने से कैसे बचे original duniya -चमत्कारी सूत्र - चिंता करने से कैसे बचे original duniya -चमत्कारी सूत्र  - Reviewed by satendra singh on 12 मार्च Rating: 5

1 टिप्पणी:

  1. Hi, very good article
    Thanks for Sharing keep up the good work
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